बात जब किसी और की
कमाई की हो
और सैकड़ों लाख-करोड़ सामने हों
तो देश का बजट भी
हंसते-मुस्कुराते बना ले कोई
लेकिन
जब अपने ख़ून-पसीने की
कमाई की बात हो
अपने घर की ज़रूरतें सामने हों
तो
बजट बनाते हुए
रूह कांप जाती है
रातों की नींद ग़ायब हो जाती है
हाथों से क़बूतर उड़ जाते हैं ....
तो, अगले चुनाव में
किसे वोट देंगे आप ? !
या चुनाव लड़ेंगे इस बार ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
कमाई की हो
और सैकड़ों लाख-करोड़ सामने हों
तो देश का बजट भी
हंसते-मुस्कुराते बना ले कोई
लेकिन
जब अपने ख़ून-पसीने की
कमाई की बात हो
अपने घर की ज़रूरतें सामने हों
तो
बजट बनाते हुए
रूह कांप जाती है
रातों की नींद ग़ायब हो जाती है
हाथों से क़बूतर उड़ जाते हैं ....
तो, अगले चुनाव में
किसे वोट देंगे आप ? !
या चुनाव लड़ेंगे इस बार ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल