पता नहीं कि मुक्ति
किस द्वार से आएगी
किस रथ पर चढ़ कर
मगर आएगी अवश्य
संभवतः
हमारे जीवन-काल में
न आ पाए
पर्याप्त नहीं हैं हमारे प्रयास
न ही संपूर्ण है
हमारा विश्वास ...
हां, इस बात का श्रेय निश्चय ही
हमारी पीढ़ी को है
कि हम न केवल सचेत हुए
बल्कि हमने प्रयास भी किए
भले ही आधे-अधूरे मन से
और असफल होते रहे बार-बार ...
ग़लती न करे मनुष्य
और सफल हो जाए
ऐसा होता तो नहीं !
हम अगली पीढ़ी को सौंप रहे हैं
अपनी संघर्ष-चेतना
अपनी असफलताओं के इतिहास
और छोटी-मोटी सफलताओं से उपजा
यह विश्वास
कि मुक्ति कोई असंभव लक्ष्य नहीं है ...
कर्णधारों !
जहां तक हम पहुंचे हैं
वहां से शुरू होती है
तुम्हारी यात्रा ...
विजयी भवः !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
किस द्वार से आएगी
किस रथ पर चढ़ कर
मगर आएगी अवश्य
संभवतः
हमारे जीवन-काल में
न आ पाए
पर्याप्त नहीं हैं हमारे प्रयास
न ही संपूर्ण है
हमारा विश्वास ...
हां, इस बात का श्रेय निश्चय ही
हमारी पीढ़ी को है
कि हम न केवल सचेत हुए
बल्कि हमने प्रयास भी किए
भले ही आधे-अधूरे मन से
और असफल होते रहे बार-बार ...
ग़लती न करे मनुष्य
और सफल हो जाए
ऐसा होता तो नहीं !
हम अगली पीढ़ी को सौंप रहे हैं
अपनी संघर्ष-चेतना
अपनी असफलताओं के इतिहास
और छोटी-मोटी सफलताओं से उपजा
यह विश्वास
कि मुक्ति कोई असंभव लक्ष्य नहीं है ...
कर्णधारों !
जहां तक हम पहुंचे हैं
वहां से शुरू होती है
तुम्हारी यात्रा ...
विजयी भवः !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल