बहुत-से शब्द थे
स्मृति की पोटली में
लगभग अनगिनत
एक-एक कर झिर गए
जीवन के पथ पर ...
जाने कब-कहां छेद हो गया !
मैंने तो
बहुत सावधानी से सहेज रखी थी
शब्दों की पोटली
अपने कंधे पर !
मुझे पता नहीं
कि संसार के किस बाज़ार में
बिकते हैं शब्द
कौन चोर ऐसा हो सकता है
जिसे
दूसरे के शब्द चाहिए
जीवन-यापन के लिए !
कौन ग्राहक होगा इतना समृद्ध
कि चुका सके
शब्दों का समुचित मूल्य !
यह भी संभव है
कि सचमुच
मेरी ही असावधानी से
फट गई हो पोटली !
मेरे शब्द
किसी के भी काम के नहीं हैं
यथार्थतः
और वस्तुतः
केवल अपने ही शब्द हैं
जो पार करा सकते हैं
वैतरणी जीवन की !
जो भी हो
यदि आप में से किसी को
मिले हों मेरे शब्द
तो लौटा दें, कृपया !
मेरा पता है ......
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
स्मृति की पोटली में
लगभग अनगिनत
एक-एक कर झिर गए
जीवन के पथ पर ...
जाने कब-कहां छेद हो गया !
मैंने तो
बहुत सावधानी से सहेज रखी थी
शब्दों की पोटली
अपने कंधे पर !
मुझे पता नहीं
कि संसार के किस बाज़ार में
बिकते हैं शब्द
कौन चोर ऐसा हो सकता है
जिसे
दूसरे के शब्द चाहिए
जीवन-यापन के लिए !
कौन ग्राहक होगा इतना समृद्ध
कि चुका सके
शब्दों का समुचित मूल्य !
यह भी संभव है
कि सचमुच
मेरी ही असावधानी से
फट गई हो पोटली !
मेरे शब्द
किसी के भी काम के नहीं हैं
यथार्थतः
और वस्तुतः
केवल अपने ही शब्द हैं
जो पार करा सकते हैं
वैतरणी जीवन की !
जो भी हो
यदि आप में से किसी को
मिले हों मेरे शब्द
तो लौटा दें, कृपया !
मेरा पता है ......
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल