चलो बस भी करो
बातें बहुत-सी हो चुकीं
आ जाओ अब
मैदान में ....
देखो
तुम्हारे शत्रुओं के पास
क्या-क्या है
नए हथियार हैं
तकनीक है
रणनीतियां हैं
सब तरफ़ से घेरने को
ड्रोन हैं
बम हैं
रसायन हैं
तुम्हें अंधा बनाने को
तुम्हारे घर जलाने को
तुम्हारे हाथ-पांव तोड़ कर
लाचार करने को
भयानक सर्दियों में
बर्फ़-सा पानी
तुम्हारी चेतना का सर झुकाने को ....
तुम्हारे पास भी तो है
बहुत-कुछ
स्वप्न हैं आकांक्षाएं हैं
जलन है क्रोध है
बेचैनियां हैं भावनाएं हैं
सड़क पर ढेर से पत्थर पड़े हैं
हाथ ख़ाली हैं …
तुम्हारे हाथ के पत्थर बहुत हैं
शत्रु-सेना का
मनोबल तोड़ने को …!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
बातें बहुत-सी हो चुकीं
आ जाओ अब
मैदान में ....
देखो
तुम्हारे शत्रुओं के पास
क्या-क्या है
नए हथियार हैं
तकनीक है
रणनीतियां हैं
सब तरफ़ से घेरने को
ड्रोन हैं
बम हैं
रसायन हैं
तुम्हें अंधा बनाने को
तुम्हारे घर जलाने को
तुम्हारे हाथ-पांव तोड़ कर
लाचार करने को
भयानक सर्दियों में
बर्फ़-सा पानी
तुम्हारी चेतना का सर झुकाने को ....
तुम्हारे पास भी तो है
बहुत-कुछ
स्वप्न हैं आकांक्षाएं हैं
जलन है क्रोध है
बेचैनियां हैं भावनाएं हैं
सड़क पर ढेर से पत्थर पड़े हैं
हाथ ख़ाली हैं …
तुम्हारे हाथ के पत्थर बहुत हैं
शत्रु-सेना का
मनोबल तोड़ने को …!
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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