भय नहीं लगता हमें अब
समय से
संयोग से
सरकार से
लाठियों से
गोलियों की मार से
डर गए तो
मुश्किलें बढ़ जाएंगी !
हो चुका डरना बहुत दिन
उम्र सारी
कट गई प्रतिरोध में
अन्याय के
अब क्या डरेंगे
मृत्यु जब पल-पल
निकट तर आ रही हो
जिस तरह सारे मरेंगे
उस तरह मर जाएंगे
हम भी
मगर कह जाएंगे
निर्द्वंद हो कर
बात अपनी
छोड़ जाएंगे कई संदेश
अगली पीढ़ियों के नाम से !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
...
समय से
संयोग से
सरकार से
लाठियों से
गोलियों की मार से
डर गए तो
मुश्किलें बढ़ जाएंगी !
हो चुका डरना बहुत दिन
उम्र सारी
कट गई प्रतिरोध में
अन्याय के
अब क्या डरेंगे
मृत्यु जब पल-पल
निकट तर आ रही हो
जिस तरह सारे मरेंगे
उस तरह मर जाएंगे
हम भी
मगर कह जाएंगे
निर्द्वंद हो कर
बात अपनी
छोड़ जाएंगे कई संदेश
अगली पीढ़ियों के नाम से !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
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