आज है जन्माष्टमी !
श्रीकृष्ण-मंदिर में
अर्द्ध-रात्रि के समय
होनी है पूजा
कराएंगे पंडित जी !
जलेगी अगरबत्ती
मंत्र पढ़े जाएंगे
घंटा-ध्वनि होगी
फिर शंख भी बजेगा
बजाएंगे पंडित जी !
नगर की कुमारियां
होंगी एकत्र वहां
गाएंगी सोहर, और
नाचेंगी घूमर
नचाएंगे पंडित जी !
कृष्ण-प्रेम विह्वल
किसी कन्या का
अंग कोई
भूल से उघड़े
खिल जाएंगे पंडित जी !
और कोई सु-कुमारी
राधा बन आएगी
दधि-माखन लाएगी
चीर बेचारी का
उड़ाएंगे पंडित जी !
आदत तो आदत है
जा सकती है भला ?
रात में टांगों में
तकिया दबा कर
सो पाएंगे पंडित जी !
( 1977 )
-सुरेश स्वप्निल
*प्रकाशन: 'देशबंधु', भोपाल ( 1977 ), 'अंतर्यात्रा' ( 1983 ) एवं अन्यत्र।
श्रीकृष्ण-मंदिर में
अर्द्ध-रात्रि के समय
होनी है पूजा
कराएंगे पंडित जी !
जलेगी अगरबत्ती
मंत्र पढ़े जाएंगे
घंटा-ध्वनि होगी
फिर शंख भी बजेगा
बजाएंगे पंडित जी !
नगर की कुमारियां
होंगी एकत्र वहां
गाएंगी सोहर, और
नाचेंगी घूमर
नचाएंगे पंडित जी !
कृष्ण-प्रेम विह्वल
किसी कन्या का
अंग कोई
भूल से उघड़े
खिल जाएंगे पंडित जी !
और कोई सु-कुमारी
राधा बन आएगी
दधि-माखन लाएगी
चीर बेचारी का
उड़ाएंगे पंडित जी !
आदत तो आदत है
जा सकती है भला ?
रात में टांगों में
तकिया दबा कर
सो पाएंगे पंडित जी !
( 1977 )
-सुरेश स्वप्निल
*प्रकाशन: 'देशबंधु', भोपाल ( 1977 ), 'अंतर्यात्रा' ( 1983 ) एवं अन्यत्र।