देश में अब
भेड़िया-तंत्र चाहते हैं
सियार !
वर्ण-संकर कुत्तों की सरकार
बहुत चल चुकी
शेर विलुप्त हो चुके
वन-प्रांतर से
हाथी शाकाहारी हैं अब भी
विकट समय है !
समस्या यह
कि सुरक्षा कौन करेगा
देश की ?
मुर्दाख़ोर कबरबिज्जू
लाशें खोद-खोद कर
ख़ाली कर चुके
क़ब्रस्तान
और अब
दृष्टि लगाए बैठे हैं
जीवित मनुष्यों पर !
विडम्बना यह कि
सारी समृद्धि लूट कर
बैंक-खातों में जमा कर चुके
यही मुर्दाख़ोर कबरबिज्जू
वित्त जुटा रहे हैं
भेड़िये के राज्यारोहण के लिए...
उफ़ ! यह कैसा संविधान है
इस देश का
जहां केवल मनुष्यभक्षी ही
पा सकते हैं सत्ता !!!!! ?????
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
भेड़िया-तंत्र चाहते हैं
सियार !
वर्ण-संकर कुत्तों की सरकार
बहुत चल चुकी
शेर विलुप्त हो चुके
वन-प्रांतर से
हाथी शाकाहारी हैं अब भी
विकट समय है !
समस्या यह
कि सुरक्षा कौन करेगा
देश की ?
मुर्दाख़ोर कबरबिज्जू
लाशें खोद-खोद कर
ख़ाली कर चुके
क़ब्रस्तान
और अब
दृष्टि लगाए बैठे हैं
जीवित मनुष्यों पर !
विडम्बना यह कि
सारी समृद्धि लूट कर
बैंक-खातों में जमा कर चुके
यही मुर्दाख़ोर कबरबिज्जू
वित्त जुटा रहे हैं
भेड़िये के राज्यारोहण के लिए...
उफ़ ! यह कैसा संविधान है
इस देश का
जहां केवल मनुष्यभक्षी ही
पा सकते हैं सत्ता !!!!! ?????
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल