सोमवार, 15 जुलाई 2013

तुम्हारा भावी राजाधिराज !

नमो-नमो !

इस  चेहरे  को  ध्यान  से  देखो
इसके  काया-कल्प  में
एक  सौ  पचास  करोड़  रुपये
ख़र्च  हो  गए
पूंजीपतियों  के  !

नमो-नमो  !

इस  चेहरे  को  और  ध्यान  से  देखो
सो  कर  उठने  से  लेकर
दर्शकों  के  सामने  लाने  तक
दर्ज़न-भर  दास-दासियां
लगे  रहते  हैं
घंटों  तक !

नमो-नमो  !

कुछ  और  ध्यान  से  देखो
इस  चेहरे  को
अभी  कुछ  देर  में
रक्त  छलकने  लगेगा  इसकी  आंखों  में
मुंह  से  बाहर  निकल  आएंगे
कुछ  दांत
निर्दोष  मनुष्यों  के
रक्त  से  सने

नमो-नमो  !

यह  मनुष्य  है  या  भेड़िया
या  आधा  मनुष्य  है
और  आधा  भेड़िया ...
यह  जो  कुछ  भी  है
यह  तुम  तय  करो
मगर  यह  तुम्हें  कुत्ते  का  पिल्ला
कहता  है !

नमो-नमो  !

इसे  स्वीकार  करो
मूर्ख  जनता !
यह  मनुष्य  हो  या  पशु
देव  हो  या  दानव
यही  है  तुम्हारा  मुक्तिदाता
तुम्हारा  भावी  राजाधिराज  !

नमो-नमो
नमो-नमो !

                                      ( 2013 )

                              -सुरेश  स्वप्निल