साझी धरती
सुरेश स्वप्निल की प्रकाशित, अप्रकाशित हिन्दी कविताओं का संग्रह्
गुरुवार, 14 जनवरी 2016
क़स्बाई लड़कियां
क़स्बाई लड़कियां
कविताएं लिखती नहीं
वे रचती हैं कविताएं
जीवन के इर्द-गिर्द
तपते चूल्हे पर पकाती हैं
बहुत सी छोटी-बड़ी कविताएं
क़स्बाई लड़कियां
छंद गढ़ते-गढ़ते
महाकाव्य हो जाती हैं
निर्विकार प्रेम को समर्पित !
(2016)
-सुरेश स्वप्निल
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