शब्द कभी-कभी
छोटे पड़ जाते हैं
व्यक्तित्वों की व्याख्या करने में
जैसे हिटलर, मुसोलिनी, तोज़ो ...
इतिहास देखता रह जाता है
हर क्रूर, वीभत्स मनुष्य को
आंखें फाड़ कर
प्रकृति भी
समझ नहीं पाती कि कैसे
कोई मनुष्य
बदल जाता है
हिंस्र पशु में
कहां से पाते हैं लोग
इतने अमानवीय संस्कार
जो दूसरे मनुष्य को
तब्दील कर देते हैं
कीड़े-मकोड़ों में ?
देखिए, आपके आसपास भी
मिल जाएंगे ऐसे कुछ अमनुष्य
जो सत्ता के लिए
गिर सकते हैं
किसी भी सीमा तक !
ऐसे हाथों में मत सौंपिए
स्वर्ग-जैसे सुंदर देश को !
अपने विवेक को
टटोलिए, छू कर देखिए
और तय कीजिए
कि चुनना किसे है ?!!
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
....
छोटे पड़ जाते हैं
व्यक्तित्वों की व्याख्या करने में
जैसे हिटलर, मुसोलिनी, तोज़ो ...
इतिहास देखता रह जाता है
हर क्रूर, वीभत्स मनुष्य को
आंखें फाड़ कर
प्रकृति भी
समझ नहीं पाती कि कैसे
कोई मनुष्य
बदल जाता है
हिंस्र पशु में
कहां से पाते हैं लोग
इतने अमानवीय संस्कार
जो दूसरे मनुष्य को
तब्दील कर देते हैं
कीड़े-मकोड़ों में ?
देखिए, आपके आसपास भी
मिल जाएंगे ऐसे कुछ अमनुष्य
जो सत्ता के लिए
गिर सकते हैं
किसी भी सीमा तक !
ऐसे हाथों में मत सौंपिए
स्वर्ग-जैसे सुंदर देश को !
अपने विवेक को
टटोलिए, छू कर देखिए
और तय कीजिए
कि चुनना किसे है ?!!
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
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