नदी का मार्ग मत रोको
उसे आता है
मार्ग की हर बाधा को हटाना
और नए मार्ग की खोज करना
नदी का मार्ग मत रोको
उसे पता है कहां-कहां सूराख़ हैं
तुम्हारी योजनाओं में
और कितना मैल जमा है
तुम्हारे मन-मस्तिष्क की तलहटी में
नदी यूं ही नहीं बहती आ रही सदियों से
वह तुम्हारी हर चाल से परिचित है
और जानती है
जीतने के सारे गुर
नदी से बैर मत लो
वह बहुत शक्तिशाली है तुमसे
नदी का मार्ग मत रोको
उसे बहना आता है
और बहा ले जाना भी !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
उसे आता है
मार्ग की हर बाधा को हटाना
और नए मार्ग की खोज करना
नदी का मार्ग मत रोको
उसे पता है कहां-कहां सूराख़ हैं
तुम्हारी योजनाओं में
और कितना मैल जमा है
तुम्हारे मन-मस्तिष्क की तलहटी में
नदी यूं ही नहीं बहती आ रही सदियों से
वह तुम्हारी हर चाल से परिचित है
और जानती है
जीतने के सारे गुर
नदी से बैर मत लो
वह बहुत शक्तिशाली है तुमसे
नदी का मार्ग मत रोको
उसे बहना आता है
और बहा ले जाना भी !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल