शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

जय गणतंत्र !

ऊंचा  झण्डा
नीची  आँखें
जय  गणतंत्र !

वोट  पके
सरकार बनाओ
जय गणतंत्र !

दल  तोड़ो
सरकार  गिराओ
जय गणतंत्र !

दोनों  हाथों
माया लूटो
जय गणतंत्र !

क़र्ज़  कबाड़ो
खेल कराओ
जय  गणतंत्र !

पटरी  तोड़ो
रेल गिराओ
जय गणतंत्र !

झगड़ा -दंगा
भाषण झाड़ो
जय गणतंत्र !

भूख-ग़रीबी
लाठी-गोली
जय गणतंत्र !

खीस निपोरो
ध्वज फहराओ
जय गणतंत्र !

आंसू पोंछो
गाना  गाओ
जय गणतंत्र !

जय गणतंत्र !
जय गणतंत्र !
जय गणतंत्र !

               ( 1982 )

         - सुरेश स्वप्निल 

* पूर्णतः अप्रकाशित/अप्रसारित रचना 

जाते कहाँ हैं प्रश्न ?

प्रश्न  यह  कि  आख़िर
जाते  कहाँ  हैं  प्रश्न ?

जहाँ-जहाँ  से  गुज़रता  है  वह
पांवों  के  नीचे
कुचले  जाते  प्रश्न
चीख़  कर  उछलते  हैं
और  उसकी  जेब  में  जा  बैठते  हैं !

तुम्हें  उत्तर  चाहिए ?

तो  प्रश्नों  के  पीछे
मज़बूती  से खड़े  रहना  सीखो।

                                             ( 1985 )

                                 -सुरेश  स्वप्निल 

* अब तक अप्रकाशित/अप्रसारित रचना।