प्रश्न यह कि आख़िर
जाते कहाँ हैं प्रश्न ?
जहाँ-जहाँ से गुज़रता है वह
पांवों के नीचे
कुचले जाते प्रश्न
चीख़ कर उछलते हैं
और उसकी जेब में जा बैठते हैं !
तुम्हें उत्तर चाहिए ?
तो प्रश्नों के पीछे
मज़बूती से खड़े रहना सीखो।
( 1985 )
-सुरेश स्वप्निल
* अब तक अप्रकाशित/अप्रसारित रचना।
जाते कहाँ हैं प्रश्न ?
जहाँ-जहाँ से गुज़रता है वह
पांवों के नीचे
कुचले जाते प्रश्न
चीख़ कर उछलते हैं
और उसकी जेब में जा बैठते हैं !
तुम्हें उत्तर चाहिए ?
तो प्रश्नों के पीछे
मज़बूती से खड़े रहना सीखो।
( 1985 )
-सुरेश स्वप्निल
* अब तक अप्रकाशित/अप्रसारित रचना।
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