सोमवार, 8 अप्रैल 2013

नई दिल्ली के कुत्ते

यदि  आप  कुत्ते  हैं
नई  दिल्ली  के  कुत्ते  हैं 

'लुट्येन्स  ज़ोन' में
रहते  हैं
अपने  गले  में  अपने  मालिक  के  नाम  का
पट्टा  पहनते  हैं
ख़ानदानी  'पेडिग्री'  हैं
सौ  फ़ीसद  विदेशी  नस्ल  के,
और  लाल  बत्ती  वाली  गाड़ियों  में
घूमते  हैं
अपने  मालिक  की  इच्छा  पर  ही  भौंकते  हैं 
तो  निश्चय  ही
आप  वी .वी .आई .पी . हैं
परम-सम्माननीय !
कहीं  भी  घूमिये
बेरोक-टोक
सारा  देश  आपका  है !

यदि  आप  कुत्ते  हैं
ख़ानदानी  'पेडिग्री'  हैं
सौ  फ़ीसद  विदेशी  नस्ल  के,
नई  दिल्ली  के
'लुट्येन्स  ज़ोन' में  भी
रहते  हैं
मगर  अपने  मालिक  के  नाम  का  पट्टा
नहीं  पहनते
न  ही  लाल  बत्ती  वाली  गाड़ियों  में
घूमते  हैं
आज़ाद ख़याल और आज़ाद ज़ुबान हैं
और  भौंकते  समय
अपने  मालिक  की  इच्छा  की
चिंता  नहीं  करते,
तब  भी  वी .आई .पी . हैं
और  कहीं  भी  घूम  सकते  हैं 
मगर  एक  हद  तक  ही !

दिल्ली  पुलिस
किसी  भी  दिन  आपको  अपनी  निगरानी  में
ले  सकती  है
और  बेहतर  क़ीमत  पर
आपको  नए  मालिक  को
सौंप  सकती  है !

यदि  आप  कुत्ते  हैं
अपने  गले  में  अपने  मालिक  के  नाम  का
पट्टा  नहीं  पहनते
ख़ानदानी आवारा   हैं
सौ  फ़ीसद  देसी  नस्ल  के,
मगर  तब  भी
नई  दिल्ली  के
'लुट्येन्स  ज़ोन' में
रहते  हैं
और  लाल  बत्ती  वाली  गाड़ियों  में
घूमते  की  कल्पना  भी
नहीं  कर  सकते 
भौंकना  आपका  संवैधानिक
और  मौलिक  अधिकार  तो  है
किंतु  क्षमा  कीजिये, श्रीमान !
आप  कभी  भी
नई  दिल्ली  महानगर  पालिका  के
कुत्ता-अतिथि  गृह  में
बलात् भेजे  जा  सकते  हैं
बधिया-करण  अथवा  ज़हर  के  इंजेक्शन  के  लिए !

यदि  आप  कुत्ते  नहीं  हैं
भारत  के  एक  सामान्य  नागरिक  हैं
सौ  फ़ीसद  खांटी  भारतीय
अभिव्यक्ति  की  आज़ादी  के
अपने  अधिकार  को
सार्वभौमिक  मान  कर
'लुट्येन्स ज़ोन'  में
भौंकने - माफ़  कीजिये  श्रीमान,
नारे  लगाने  की  जुर्रत  करते  हैं
तो  सावधान  !
किसी  भी  दिन, किसी  भी  समय
किसी  भी  जगह
आपका  'एनकाउंटर' हो  सकता  है  !

                                                  ( 2013 )

                                           -सुरेश  स्वप्निल 

* पूर्णतः मौलिक, अप्रकाशित/अप्रसारित, नवीनतम रचना। सभी के लिए, 
   पूर्वसूचना एवं यथासंभव पारिश्रमिक पर, प्रकाशन हेतु उपलब्ध।