कल रात
सपने में आई थी पुलिस
और छीन ले गई
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
डंडे मार-मार कर
झड़ा दिए सारे शब्द
खुरच-खुरच कर
मिटा गई राजनैतिक समझ
लूट ले गई
वैचारिक चेतना …
यह जानते हुए भी
कि यह मौलिक अधिकार है
भारतीय संविधान में …
मगर पुलिस को कौन समझा सकता है
सही और ग़लत का फ़र्क़
कौन सिखा सकता है
मानवीय व्यवहार ?
पुलिस सर्वशक्तिमान है
जब तक उसके शरीर पर
चिपकी हुई है
ख़ाकी वर्दी
और हाथ में है डंडा !
शुक्र है कि यह
स्वप्न ही था
बेहद डरावना …
मगर यह दु:स्वप्न
सत्य में बदल सकता है
किसी भी दिन …
यह भारत है
मानवाधिकार के रखवालों !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
सपने में आई थी पुलिस
और छीन ले गई
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
डंडे मार-मार कर
झड़ा दिए सारे शब्द
खुरच-खुरच कर
मिटा गई राजनैतिक समझ
लूट ले गई
वैचारिक चेतना …
यह जानते हुए भी
कि यह मौलिक अधिकार है
भारतीय संविधान में …
मगर पुलिस को कौन समझा सकता है
सही और ग़लत का फ़र्क़
कौन सिखा सकता है
मानवीय व्यवहार ?
पुलिस सर्वशक्तिमान है
जब तक उसके शरीर पर
चिपकी हुई है
ख़ाकी वर्दी
और हाथ में है डंडा !
शुक्र है कि यह
स्वप्न ही था
बेहद डरावना …
मगर यह दु:स्वप्न
सत्य में बदल सकता है
किसी भी दिन …
यह भारत है
मानवाधिकार के रखवालों !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल