वे हाथ
जो तोड़ते हैं पत्थर
लिखते हैं
सुंदरतम कविताएं
इतिहास के माथे
और भविष्य की छाती पर...
वे हाथ
किसी भी क्षण
बदल सकते हैं
वर्त्तमान की दिशा और गति
रंग-रूप
और आकार !
कर्णधारों !
गर्व मत करो
अपनी क्रय-शक्ति
और अपने
विक्रय-मूल्य पर ।
(2015)
-सुरेश स्वप्निल
जो तोड़ते हैं पत्थर
लिखते हैं
सुंदरतम कविताएं
इतिहास के माथे
और भविष्य की छाती पर...
वे हाथ
किसी भी क्षण
बदल सकते हैं
वर्त्तमान की दिशा और गति
रंग-रूप
और आकार !
कर्णधारों !
गर्व मत करो
अपनी क्रय-शक्ति
और अपने
विक्रय-मूल्य पर ।
(2015)
-सुरेश स्वप्निल