युवा देश में बूढ़ी संसद
नहीं चलेंगे बूढ़ों के करतब
ज़्यादा दिन
चोर-बाज़ारी, रिश्वत-ख़ोरी,
अमरीका की ठकुर-सुहाती
टाटा-बिड़ला-अम्बानी-मित्तल-जिंदल से
गठ-बंधन भी नहीं चलेंगे
अबकी बार हिसाब मांगने वाले
युवा-वर्ग को
झांसे देना महंगा होगा
अबके जंतर-मंतर से बदलेगी सारी सत्ता,
सत्ता के सारे समीकरण यहीं बनेंगे
अब ज़्यादा दिन नहीं बचे हैं
इस संसद के
इस अंधियारे के मौसम के
अब यह संसद नहीं चलेगी
या यह जनता नहीं चलेगी !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
* एकदम नई रचना, अप्रकाशित, अप्रसारित। प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
नहीं चलेगी
नहीं चलेंगे बूढ़ों के करतब
ज़्यादा दिन
चोर-बाज़ारी, रिश्वत-ख़ोरी,
अमरीका की ठकुर-सुहाती
टाटा-बिड़ला-अम्बानी-मित्तल-जिंदल से
गठ-बंधन भी नहीं चलेंगे
अबकी बार हिसाब मांगने वाले
युवा-वर्ग को
झांसे देना महंगा होगा
अबके जंतर-मंतर से बदलेगी सारी सत्ता,
सत्ता के सारे समीकरण यहीं बनेंगे
अब ज़्यादा दिन नहीं बचे हैं
इस संसद के
इस अंधियारे के मौसम के
अब यह संसद नहीं चलेगी
या यह जनता नहीं चलेगी !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
* एकदम नई रचना, अप्रकाशित, अप्रसारित। प्रकाशन हेतु उपलब्ध।