मंगलवार, 4 नवंबर 2014

मौलिश्री, पलाश और अमृताश


क्यों  लगता  है  तुम्हें
कि  मैं
नहीं  जानता  गुलाबों  के
रंग  के  बारे  में

कि  मुझे  नहीं  पता
हरित  चम्पा  की  गंध
और  केवड़े  के
कांटों  के  बारे  में  ?

मैं
मौलिश्री  के  फूलों  की
माला  पहनता  था
गले  में 
और  पलाश
और  अमृताश  के  फूलों  से
रंगोली  बनाता  था
बचपन  में ....

वस्तुतः,  बहुत-कुछ
झाड़ना-बुहारना
काटना-छीलना
और  अलग  करना पड़ेगा
तुम्हें
मेरे
और  ख़ुद  के  अन्तर्मन  से
मेरे  पास  तक  आने  के  लिए  !

                                                                         (2014)

                                                                -सुरेश  स्वप्निल 

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