क्यों लगता है तुम्हें
कि मैं
नहीं जानता गुलाबों के
रंग के बारे में
कि मुझे नहीं पता
हरित चम्पा की गंध
और केवड़े के
कांटों के बारे में ?
मैं
मौलिश्री के फूलों की
माला पहनता था
गले में
और पलाश
और अमृताश के फूलों से
रंगोली बनाता था
बचपन में ....
वस्तुतः, बहुत-कुछ
झाड़ना-बुहारना
काटना-छीलना
और अलग करना पड़ेगा
तुम्हें
मेरे
और ख़ुद के अन्तर्मन से
मेरे पास तक आने के लिए !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
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