यह कौन-सा कुरुक्षेत्र है
जहां दर्जनों धृतराष्ट्र खड़े हैं
हर किसी के सामने
असंख्य, अक्षौहिणी सेनाएं
आधुनिकतम शस्त्रास्त्र से लैस
सारे सेनानायक, सारे सैनिक
सब के सब
आंखों पर पट्टियां बांधे
लड़ते चले जा रहे हैं
न जाने किसके विरुद्ध
किसके पक्ष में
वे कौन शकुनि हैं
जो विवश कर रहे हैं भाई-भाई को
एक-दूसरे के विरुद्ध
युद्ध के लिए ?
कोई नियम नहीं
कोई सिद्धान्त नहीं
केवल युद्ध
विश्व के समृद्धतम प्राकृतिक संसाधनों
और मूक -तम जनसंख्याओं में से एक पर
विजय के लिए ...
यह युद्ध
दृष्टिहीनों का है
अथवा
दृष्टिहीनता का ?
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
...
जहां दर्जनों धृतराष्ट्र खड़े हैं
हर किसी के सामने
असंख्य, अक्षौहिणी सेनाएं
आधुनिकतम शस्त्रास्त्र से लैस
सारे सेनानायक, सारे सैनिक
सब के सब
आंखों पर पट्टियां बांधे
लड़ते चले जा रहे हैं
न जाने किसके विरुद्ध
किसके पक्ष में
वे कौन शकुनि हैं
जो विवश कर रहे हैं भाई-भाई को
एक-दूसरे के विरुद्ध
युद्ध के लिए ?
कोई नियम नहीं
कोई सिद्धान्त नहीं
केवल युद्ध
विश्व के समृद्धतम प्राकृतिक संसाधनों
और मूक -तम जनसंख्याओं में से एक पर
विजय के लिए ...
यह युद्ध
दृष्टिहीनों का है
अथवा
दृष्टिहीनता का ?
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
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