बुधवार, 13 मार्च 2013

ज़िंदा दिल शहर का इतिहास

यह  कैसी  आग  है
जिसमें  जलते  हैं  दिल
ख़ाक  होते  हैं  जिस्म
बरसता  है  लहू-
उठते  हुए  शो'लों  को
और  भड़काने  के  लिए ?

ये  जलती  हुई  झोंपड़ियां
ये  ध्वस्त  होते  मकान
सुलगती  सड़कें-
और रह-रह  कर , घुट-घुट  कर
गूंजती  हुई  चीख़ें -

और  तुम्हारे  पैरों  में  उलझती  हुई
अधजली  लाश ..

यह  सरिता  है
कि  शबाना  है  ?
और  यह  शहर ,
यह  मुरादाबाद  है
कि  अलीगढ़  है
या  इलाहाबाद
कि  हैदराबाद ????

बता  सकते  हैं  मुझे,
श्रीमान ?
मुझे, 
इस  ज़िंदा दिल शहर  का
इतिहास  लिखना  है !

                                 ( 1976 )

                           -सुरेश  स्वप्निल 

*संभवतः, प्रकाशित। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।