यह कैसी आग है
जिसमें जलते हैं दिल
ख़ाक होते हैं जिस्म
बरसता है लहू-
उठते हुए शो'लों को
और भड़काने के लिए ?
ये जलती हुई झोंपड़ियां
ये ध्वस्त होते मकान
सुलगती सड़कें-
और रह-रह कर , घुट-घुट कर
गूंजती हुई चीख़ें -
और तुम्हारे पैरों में उलझती हुई
अधजली लाश ..
यह सरिता है
कि शबाना है ?
और यह शहर ,
यह मुरादाबाद है
कि अलीगढ़ है
या इलाहाबाद
कि हैदराबाद ????
बता सकते हैं मुझे,
श्रीमान ?
मुझे,
इस ज़िंदा दिल शहर का
इतिहास लिखना है !
( 1976 )
-सुरेश स्वप्निल
*संभवतः, प्रकाशित। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
जिसमें जलते हैं दिल
ख़ाक होते हैं जिस्म
बरसता है लहू-
उठते हुए शो'लों को
और भड़काने के लिए ?
ये जलती हुई झोंपड़ियां
ये ध्वस्त होते मकान
सुलगती सड़कें-
और रह-रह कर , घुट-घुट कर
गूंजती हुई चीख़ें -
और तुम्हारे पैरों में उलझती हुई
अधजली लाश ..
यह सरिता है
कि शबाना है ?
और यह शहर ,
यह मुरादाबाद है
कि अलीगढ़ है
या इलाहाबाद
कि हैदराबाद ????
बता सकते हैं मुझे,
श्रीमान ?
मुझे,
इस ज़िंदा दिल शहर का
इतिहास लिखना है !
( 1976 )
-सुरेश स्वप्निल
*संभवतः, प्रकाशित। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।