अमेरिका में हवा चलती है
रुपया गिर जाता है
अमेरिका में हवा नहीं चलती
रुपया गिर जाता है
अमेरिका में सर्दी, गर्मी, बरसात …
कोई भी मौसम आए या जाए
रुपया गिर-गिर पड़ता है…
जब-जब रुपया ग़ोता लगाता है
निवेशक ख़ुश होते हैं
टाटा-बिरला-अम्बानी-अडानी-नारायण मूर्ति
सब के सब जश्न मनाते हैं
प्रधानमंत्री को 'मिठाई' भेजते हैं
और सारे दलों को चुनाव के लिए चंदा …
वाह ! क्या शानदार लोकतंत्र है
जहां संसद में चिंता होती है
और नेताओं के घर में जश्न…
चुनाव हालांकि बहुत दूर हैं अभी
शायद कई बरस या दशक दूर
मगर जनता का धैर्य चुकने लगा है
जिस दिन धैर्य टूट गया अवाम का
उस दिन
किसी को नहीं पता
कि अमेरिका की नौकरी बजाने वाले
पूंजीपतियों की दलाली करने वाले
नेता-अभिनेता-डाकू-तस्करों-अफ़सरों का
क्या हाल करेंगे लोग…
अवाम को कमज़ोर मत समझो
जिस दिन अवाम सर उठाएगी
उस दिन दुनिया की तमाम सरकारें
और उनके दलाल
भीख मांगते फिरेंगे जान-माल की
जिस दिन रुपया अपनी पर आएगा
उस दिन
डॉलर, पौंड, दीनार और दिरहम
सब धूल चाटते नज़र आएंगे
उस दिन नाश होगा पूंजीवाद का
आर्थिक आतंकवाद और उपनिवेश वाद का…
वह दिन चाहे जितना दूर लगे
बेहद पास है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
रुपया गिर जाता है
अमेरिका में हवा नहीं चलती
रुपया गिर जाता है
अमेरिका में सर्दी, गर्मी, बरसात …
कोई भी मौसम आए या जाए
रुपया गिर-गिर पड़ता है…
जब-जब रुपया ग़ोता लगाता है
निवेशक ख़ुश होते हैं
टाटा-बिरला-अम्बानी-अडानी-नारायण मूर्ति
सब के सब जश्न मनाते हैं
प्रधानमंत्री को 'मिठाई' भेजते हैं
और सारे दलों को चुनाव के लिए चंदा …
वाह ! क्या शानदार लोकतंत्र है
जहां संसद में चिंता होती है
और नेताओं के घर में जश्न…
चुनाव हालांकि बहुत दूर हैं अभी
शायद कई बरस या दशक दूर
मगर जनता का धैर्य चुकने लगा है
जिस दिन धैर्य टूट गया अवाम का
उस दिन
किसी को नहीं पता
कि अमेरिका की नौकरी बजाने वाले
पूंजीपतियों की दलाली करने वाले
नेता-अभिनेता-डाकू-तस्करों-अफ़सरों का
क्या हाल करेंगे लोग…
अवाम को कमज़ोर मत समझो
जिस दिन अवाम सर उठाएगी
उस दिन दुनिया की तमाम सरकारें
और उनके दलाल
भीख मांगते फिरेंगे जान-माल की
जिस दिन रुपया अपनी पर आएगा
उस दिन
डॉलर, पौंड, दीनार और दिरहम
सब धूल चाटते नज़र आएंगे
उस दिन नाश होगा पूंजीवाद का
आर्थिक आतंकवाद और उपनिवेश वाद का…
वह दिन चाहे जितना दूर लगे
बेहद पास है !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल