फिर रक्त-पिपासा बढ़ गई
आदम ख़ोरों की
फिर ढूंढ लिए गए निरीह, बेबस मनुष्य
नवीनतम हथियारों के परीक्षण के लिए
गढ़ लिए गए नए बहाने
शक्ति-प्रदर्शन के लिए
फिर तलाश लिए गए
नए तेल-क्षेत्र
मुनाफ़ाखोर ख़ोर व्यापारियों की मंशा के अनुरूप
दिल्ली से दमिश्क तक
दलालों के तथा-कथित समर्थन के दम पर
कब तक सहेंगे दुनिया के ग़रीब लोग
सुनियोजित, सु-संगठित 'मानवता के रक्षकों' के आतंक ?
दुखद समाचार है वॉशिंगटन के लिए
मौत की पूर्व-सूचना है
अमेरिका के चारण-भांडों के लिए
कि इतना आसान नहीं होगा अब
झूठ के दम पर किसी अन्य ईराक़ को गढ़ना
इतना आसान नहीं होगा
तेल के भावों को मनमर्ज़ी से
चढ़ाना-गिराना….
अबकी बार
सिर्फ़ अर्थ-व्यवस्था ही नहीं बदलेगी
बदल जाएंगे भूगोल
दिल्ली से दमिश्क तक !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
*
आदम ख़ोरों की
फिर ढूंढ लिए गए निरीह, बेबस मनुष्य
नवीनतम हथियारों के परीक्षण के लिए
गढ़ लिए गए नए बहाने
शक्ति-प्रदर्शन के लिए
फिर तलाश लिए गए
नए तेल-क्षेत्र
मुनाफ़ाखोर ख़ोर व्यापारियों की मंशा के अनुरूप
दिल्ली से दमिश्क तक
दलालों के तथा-कथित समर्थन के दम पर
कब तक सहेंगे दुनिया के ग़रीब लोग
सुनियोजित, सु-संगठित 'मानवता के रक्षकों' के आतंक ?
दुखद समाचार है वॉशिंगटन के लिए
मौत की पूर्व-सूचना है
अमेरिका के चारण-भांडों के लिए
कि इतना आसान नहीं होगा अब
झूठ के दम पर किसी अन्य ईराक़ को गढ़ना
इतना आसान नहीं होगा
तेल के भावों को मनमर्ज़ी से
चढ़ाना-गिराना….
अबकी बार
सिर्फ़ अर्थ-व्यवस्था ही नहीं बदलेगी
बदल जाएंगे भूगोल
दिल्ली से दमिश्क तक !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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