मुक्ति का कोई बीज-मंत्र नहीं होता
कि जिसका उच्चारण करते ही
टूट जाएं पिंजरे की सलाखें
और सो जाएं सारे पहरेदार ...
मुक्ति की कामना सफल हो
इसके लिए ज़रूरी है
कि पंख खुल सकें सही समय पर
और आंखें और दिमाग़ रहें
एकदम चौकन्ने
कि दाना-पानी के लिए
पिंजरे का दरवाज़ा खुलते ही
सारी चेतना और शक्ति सहेज कर
टूट पड़ा जाए
सामने पड़ने वाले शत्रु
या उसके सहायकों पर
समय का एक तिनका भी व्यर्थ होने का अर्थ है
अपनी परतंत्रता को शाश्वत बना लेना !
हो सकता है कि मुक्त होने के प्रयास में
घायल हो जाएं
चोंच और पंख
साथ न दे पाएं फेफड़े
या बीच राह में ही
भरभरा कर ढह जाए
इच्छा-शक्ति का सुरक्षा-कवच ...
कुछ भी हो सकता है
भटक जाने से लेकर प्राण जाने तक…
मुक्ति मुफ़्त में नहीं मिलती, दोस्तों !
दाम चुकाने को तैयार हो
तो सहेज लो डैने !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
कि जिसका उच्चारण करते ही
टूट जाएं पिंजरे की सलाखें
और सो जाएं सारे पहरेदार ...
मुक्ति की कामना सफल हो
इसके लिए ज़रूरी है
कि पंख खुल सकें सही समय पर
और आंखें और दिमाग़ रहें
एकदम चौकन्ने
कि दाना-पानी के लिए
पिंजरे का दरवाज़ा खुलते ही
सारी चेतना और शक्ति सहेज कर
टूट पड़ा जाए
सामने पड़ने वाले शत्रु
या उसके सहायकों पर
समय का एक तिनका भी व्यर्थ होने का अर्थ है
अपनी परतंत्रता को शाश्वत बना लेना !
हो सकता है कि मुक्त होने के प्रयास में
घायल हो जाएं
चोंच और पंख
साथ न दे पाएं फेफड़े
या बीच राह में ही
भरभरा कर ढह जाए
इच्छा-शक्ति का सुरक्षा-कवच ...
कुछ भी हो सकता है
भटक जाने से लेकर प्राण जाने तक…
मुक्ति मुफ़्त में नहीं मिलती, दोस्तों !
दाम चुकाने को तैयार हो
तो सहेज लो डैने !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल