( एक )
धर्म भी पीछा छोड़ दे…
मैं अपने नाम के आगे
जाति का दुमछल्ला
नहीं लगाता….
सोच रहा हूं
कि कोई ऐसा नाम रख लूं
कि मेरा धर्म भी
पीछा छोड़ दे मेरा….
( दो )
'ज़ेड प्लस सुरक्षा'
मैं ऐसे भगवान को
नहीं मानता
जो हाथ में हथियार लिए बिना
घर से न निकले
मैं ऐसे किसी इमाम
या शंकराचार्य को भी नहीं मानता
जो 'ज़ेड प्लस सुरक्षा' के सहारे
धर्म का प्रचार करे
मैं किसी ऐसे धर्म को
नहीं मानता
जो मेरे पड़ोसी का घर
जलाने की शिक्षा दे….
मैं ऐसे धर्म या राष्ट्र पर
थूकता हूं
जो अपने ही देश में
अपने ही नागरिकों को
सिर्फ़ धर्म के आधार पर
दूसरे दर्ज़े का बना दे….
मैं मनुष्य हूं
मुझे जीने दो
एक मनुष्य की तरह !
( तीन )
धर्म और समाज के ठेकेदारों !
मुझे हथियारों का डर
मत दिखाओ
मुझे मौत का भी डर नहीं है…
मुझे स्वर्ग का लालच मत दो
मैं अपनी मातृ-भूमि में ही
ख़ुश हूं …
मुझे जन्नत, हूरों और शराब
के झांसे भी मत दो
मुझे अपनी मेहनत से कमाई रोटी
के सिवा कुछ भी प्यारा नहीं…
मेरे सामने से हट जाओ
धर्म और समाज के ठेकेदारों !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
धर्म भी पीछा छोड़ दे…
मैं अपने नाम के आगे
जाति का दुमछल्ला
नहीं लगाता….
सोच रहा हूं
कि कोई ऐसा नाम रख लूं
कि मेरा धर्म भी
पीछा छोड़ दे मेरा….
( दो )
'ज़ेड प्लस सुरक्षा'
मैं ऐसे भगवान को
नहीं मानता
जो हाथ में हथियार लिए बिना
घर से न निकले
मैं ऐसे किसी इमाम
या शंकराचार्य को भी नहीं मानता
जो 'ज़ेड प्लस सुरक्षा' के सहारे
धर्म का प्रचार करे
मैं किसी ऐसे धर्म को
नहीं मानता
जो मेरे पड़ोसी का घर
जलाने की शिक्षा दे….
मैं ऐसे धर्म या राष्ट्र पर
थूकता हूं
जो अपने ही देश में
अपने ही नागरिकों को
सिर्फ़ धर्म के आधार पर
दूसरे दर्ज़े का बना दे….
मैं मनुष्य हूं
मुझे जीने दो
एक मनुष्य की तरह !
( तीन )
धर्म और समाज के ठेकेदारों !
मुझे हथियारों का डर
मत दिखाओ
मुझे मौत का भी डर नहीं है…
मुझे स्वर्ग का लालच मत दो
मैं अपनी मातृ-भूमि में ही
ख़ुश हूं …
मुझे जन्नत, हूरों और शराब
के झांसे भी मत दो
मुझे अपनी मेहनत से कमाई रोटी
के सिवा कुछ भी प्यारा नहीं…
मेरे सामने से हट जाओ
धर्म और समाज के ठेकेदारों !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल