जो सो सकते हैं आराम से
इतने वाहियात समय में
उनसे कुछ नहीं कहना मुझे
मुझे उनसे भी
कुछ नहीं कहना
जो कारण हैं
दिनों दिन मंडराते युद्ध के
और नाभिकीय हथियारों के
निर्माता और उनके वित्तीय मालिकों के
मुझे जो भी कहना है
मैं कहूंगा उनसे
जो कभी सो नहीं पाते
अफ़ग़ानिस्तान से ज़ाम्बिया तक फैले
पूँजी के अभागे शिकारों से
मुझे कहना है महमूद अहमदीनेजाद से
पीछे मत हटना दोस्तों
इससे पहले कि
शत्रु फिर एक नया ईराक़ गढ़ दे
या फिर कोई इज़राइल तैयार कर दे
साबित करना ही होगा
कि ज़िंदा हैं हम
अपने अस्तित्व की सुरक्षा को
हर तरह से चाक-चौबंद !
किसी न किसी को तो
मिटना ही होगा
मनुष्यता के सबसे बड़े शत्रुओं को
या मनुष्यता को !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
* नवीनतम/ मौलिक/ अप्रकाशित/ अप्रसारित रचना। प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
इतने वाहियात समय में
उनसे कुछ नहीं कहना मुझे
मुझे उनसे भी
कुछ नहीं कहना
जो कारण हैं
दिनों दिन मंडराते युद्ध के
और नाभिकीय हथियारों के
निर्माता और उनके वित्तीय मालिकों के
मुझे जो भी कहना है
मैं कहूंगा उनसे
जो कभी सो नहीं पाते
अफ़ग़ानिस्तान से ज़ाम्बिया तक फैले
पूँजी के अभागे शिकारों से
मुझे कहना है महमूद अहमदीनेजाद से
पीछे मत हटना दोस्तों
इससे पहले कि
शत्रु फिर एक नया ईराक़ गढ़ दे
या फिर कोई इज़राइल तैयार कर दे
साबित करना ही होगा
कि ज़िंदा हैं हम
अपने अस्तित्व की सुरक्षा को
हर तरह से चाक-चौबंद !
किसी न किसी को तो
मिटना ही होगा
मनुष्यता के सबसे बड़े शत्रुओं को
या मनुष्यता को !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
* नवीनतम/ मौलिक/ अप्रकाशित/ अप्रसारित रचना। प्रकाशन हेतु उपलब्ध।