रामदुलारे की बिटिया ने सोलहवें में
क़दम रखा है। चर्चा फैली है क़स्बे में।
जाने कितनी जोड़ी आँखें टहल रही हैं
आगे-पीछे। सबकी सांसें मचल रही हैं।
नेताजी का छोटा बेटा रोज़ शाम को
ख़बर सुनाने आ जाता है। धनीराम को
ताव चढ़ा है। अब उधार से दूर रहेगा।
रामदुलारा परेशान है, किसे कहेगा ?
कल धनिया पर पहलवान ने आँख चलाई।
बड़ा दरोग़ा पूछ रहा था, " कहीं सगाई
की धनिया की ? बड़ी हो गई है अब तो
वह!"
क्या होगा अब ? रामदुलारे की आफ़त तो
सभी जगह है , कहाँ जाएगा ? यहीं रहेगा
सब सह लेगा , कभी किसी से नहीं कहेगा
कुछ भी -
केवल अपनी बिटिया की शादी होने तक ...
( 1982 )
-सुरेश स्वप्निल
प्रकाशन : 'अंतर्यात्रा' 13 ( 1983 ) एवं अन्यत्र। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।
क़दम रखा है। चर्चा फैली है क़स्बे में।
जाने कितनी जोड़ी आँखें टहल रही हैं
आगे-पीछे। सबकी सांसें मचल रही हैं।
नेताजी का छोटा बेटा रोज़ शाम को
ख़बर सुनाने आ जाता है। धनीराम को
ताव चढ़ा है। अब उधार से दूर रहेगा।
रामदुलारा परेशान है, किसे कहेगा ?
कल धनिया पर पहलवान ने आँख चलाई।
बड़ा दरोग़ा पूछ रहा था, " कहीं सगाई
की धनिया की ? बड़ी हो गई है अब तो
वह!"
क्या होगा अब ? रामदुलारे की आफ़त तो
सभी जगह है , कहाँ जाएगा ? यहीं रहेगा
सब सह लेगा , कभी किसी से नहीं कहेगा
कुछ भी -
केवल अपनी बिटिया की शादी होने तक ...
( 1982 )
-सुरेश स्वप्निल
प्रकाशन : 'अंतर्यात्रा' 13 ( 1983 ) एवं अन्यत्र। पुनः प्रकाशन हेतु उपलब्ध।