वह निकलता था
एक हाथ में धर्म-ग्रंथ
और दूसरे हाथ में तलवार लेकर
इस चेतावनी के साथ
कि या तो मेरा धर्म स्वीकार करो
या मेरी तलवार !
उसके वंशज
कई शताब्दियों के बाद
अचानक आ प्रकट हुए हैं
देश में
वे हाथ में तलवार नहीं रखते
कोई चेतावनी भी नहीं देते
किसी विधर्मी को
वे केवल संकेत करते हैं
अपनी अघोषित, कुपोषित सेना को
और वे भूखे-नंगे
टूट पड़ते हैं
अपने ही जैसे भूखे-नंगों की बस्तियों पर
तरह-तरह के हथियार लेकर !
वे इतिहास के उस कुख्यात महानायक के
वर्त्तमान वंशज
किस देश, किस राष्ट्र, किस धर्म के हैं ?
क्या उनकी शिराओं में भी
वही रक्त है
जो बहता है मेरी
और आपकी शिराओं में ?
क्या यही होता है
धर्म का अर्थ ???
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
...
एक हाथ में धर्म-ग्रंथ
और दूसरे हाथ में तलवार लेकर
इस चेतावनी के साथ
कि या तो मेरा धर्म स्वीकार करो
या मेरी तलवार !
उसके वंशज
कई शताब्दियों के बाद
अचानक आ प्रकट हुए हैं
देश में
वे हाथ में तलवार नहीं रखते
कोई चेतावनी भी नहीं देते
किसी विधर्मी को
वे केवल संकेत करते हैं
अपनी अघोषित, कुपोषित सेना को
और वे भूखे-नंगे
टूट पड़ते हैं
अपने ही जैसे भूखे-नंगों की बस्तियों पर
तरह-तरह के हथियार लेकर !
वे इतिहास के उस कुख्यात महानायक के
वर्त्तमान वंशज
किस देश, किस राष्ट्र, किस धर्म के हैं ?
क्या उनकी शिराओं में भी
वही रक्त है
जो बहता है मेरी
और आपकी शिराओं में ?
क्या यही होता है
धर्म का अर्थ ???
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
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