युद्ध का अंतिम प्रहर
आ ही गया, महावीरों !
देखना, कोई प्रयत्न
शेष न रह जाए
सूर्यास्त के पूर्व ही
जीतना होगा युद्ध
झुका देनी होंगी
शत्रुओं की ध्वजाएं ...
शत्रु पक्ष का
एक भी योद्धा शेष न रह पाए
जीवित अथवा घायल
मृत्यु के मुख से लौटा
हर शत्रु
सौ शत्रुओं के बराबर होता है
क्रूर और भयावह...
स्थायी विजय तभी संभव है
जब मिटा दी जाए
शत्रुओं की युद्ध करने की
सारी आशाएं/आकांक्षाएं
और ख़त्म कर दिए जाएं
सारे दुस्साहस
युद्ध के
इस अंतिम प्रहर को
अकारथ न होने देना
ताकि अगले महाभारत की
भूमिका स्पष्ट हो सके ...!
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
...
आ ही गया, महावीरों !
देखना, कोई प्रयत्न
शेष न रह जाए
सूर्यास्त के पूर्व ही
जीतना होगा युद्ध
झुका देनी होंगी
शत्रुओं की ध्वजाएं ...
शत्रु पक्ष का
एक भी योद्धा शेष न रह पाए
जीवित अथवा घायल
मृत्यु के मुख से लौटा
हर शत्रु
सौ शत्रुओं के बराबर होता है
क्रूर और भयावह...
स्थायी विजय तभी संभव है
जब मिटा दी जाए
शत्रुओं की युद्ध करने की
सारी आशाएं/आकांक्षाएं
और ख़त्म कर दिए जाएं
सारे दुस्साहस
युद्ध के
इस अंतिम प्रहर को
अकारथ न होने देना
ताकि अगले महाभारत की
भूमिका स्पष्ट हो सके ...!
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
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