समय- न्यायाधीश ने
फिर सान पर रख दी हैं
अपनी तलवारें
फिर छलछलाने लगा है रक्त
उस सर्व-शक्तिमान की आंखों में
कुछ सिर कट गिरे हैं
बहुत से सिर
और तख़्त-ताज बाक़ी हैं अभी
जिन्हें कट कर गिरना है
देखते जाइए
कल किसकी बारी है
हम भी संभवत: उसकी सूची में
होंगे कहीं न कहीं
अपने मौन और अकर्मण्यता के चलते...
समय अंतिम न्यायाधीश है
जिससे आशाएं की जा सकती हैं
अभी भी !
मौन भयंकर अपराध है
समय की आंखों में
और अकर्मण्यता भयंकरतम !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
फिर सान पर रख दी हैं
अपनी तलवारें
फिर छलछलाने लगा है रक्त
उस सर्व-शक्तिमान की आंखों में
कुछ सिर कट गिरे हैं
बहुत से सिर
और तख़्त-ताज बाक़ी हैं अभी
जिन्हें कट कर गिरना है
देखते जाइए
कल किसकी बारी है
हम भी संभवत: उसकी सूची में
होंगे कहीं न कहीं
अपने मौन और अकर्मण्यता के चलते...
समय अंतिम न्यायाधीश है
जिससे आशाएं की जा सकती हैं
अभी भी !
मौन भयंकर अपराध है
समय की आंखों में
और अकर्मण्यता भयंकरतम !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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