शनिवार, 28 जून 2014

अगली पीढ़ियों के नाम

भय  नहीं  लगता  हमें  अब
समय  से
संयोग  से
सरकार  से
लाठियों  से
गोलियों  की  मार  से

डर  गए  तो
मुश्किलें  बढ़  जाएंगी  !

हो  चुका  डरना  बहुत  दिन
उम्र  सारी 
कट  गई  प्रतिरोध  में
अन्याय  के
अब  क्या  डरेंगे
मृत्यु  जब  पल-पल 
निकट तर  आ  रही  हो

जिस  तरह  सारे  मरेंगे
उस  तरह  मर  जाएंगे
हम भी

मगर  कह  जाएंगे 
निर्द्वंद  हो  कर
बात  अपनी 
छोड़  जाएंगे  कई  संदेश
अगली  पीढ़ियों  के  नाम  से  !

                                                            (2014)

                                                      -सुरेश स्वप्निल 

...

4 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 01/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर ।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

अच्छा संदेश।

Unknown ने कहा…

बहुत खूब