वही हुआ
जिसकी आशंका थी
एक-एक कर
क़ैद में डाल दिए गए
सारे शब्द !
विद्रोही शब्दों को
ढूंढ-ढूंढ कर
ले आया गया चौराहे पर
और गोली मार दी गई....
सरे-आम !
वे नहीं जानते
रक्त-बीज होते हैं शब्द
धरा पर गिरे रक्त की हर बूंद से
जन्म लेते चले जाएंगे
हज़ारों-लाखों शब्द
सब के सब
विद्रोही
अपनी पहली सांस से ही
विद्रोह की सिंफ़नी रचते हुए !
संसार का सबसे आत्मघाती क़दम है
सत्ताधारियों के लिए
विद्रोही शब्दों की हत्या करना !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
....
जिसकी आशंका थी
एक-एक कर
क़ैद में डाल दिए गए
सारे शब्द !
विद्रोही शब्दों को
ढूंढ-ढूंढ कर
ले आया गया चौराहे पर
और गोली मार दी गई....
सरे-आम !
वे नहीं जानते
रक्त-बीज होते हैं शब्द
धरा पर गिरे रक्त की हर बूंद से
जन्म लेते चले जाएंगे
हज़ारों-लाखों शब्द
सब के सब
विद्रोही
अपनी पहली सांस से ही
विद्रोह की सिंफ़नी रचते हुए !
संसार का सबसे आत्मघाती क़दम है
सत्ताधारियों के लिए
विद्रोही शब्दों की हत्या करना !
(2014)
-सुरेश स्वप्निल
....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें