हे धर्म-इतिहास-संस्कृति के
परम ज्ञाता
महाराज …
आपको स्मरण नहीं क्या
कि तिल-भर भूमि के लिए
लड़ा गया था
मनुष्यता के इतिहास का
दुर्द्धर्ष-तम युद्ध…
हां, यह सत्य है
कि उस महाभारत में नहीं थी
हम किसानों की कोई
सक्रिय भूमिका
किंतु इस बार
चैन से नहीं जीने देंगे हम
अपने खेतों पर
कुदृष्टि डालने वालों को
सत्य यह भी है
कि इस बार हर महाभारत
राज-परिवारों के बीच नहीं
होगा किसान और हर राजवंशी के बीच
हमारी चुनौती है
कि इस बार
हमारे घर का कोई अभिमन्यु,
कोई घटोत्कच
या कोई भी एकलव्य
प्राण नहीं देगा
अन्यों की राज-लिप्सा के कारण !
बस करो, महाराज
अनंत उर्वरा कृषि-भूमि का
मात्र स्वार्थ के लिए व्यापार !
मत करो पूंजीपतियों की
अनुचित दलाली
मत बेचो अपनी आत्मा
क्षण-भंगुर राज-सत्ता के लिए...
इस समय का सबसे बड़ा सत्य
यही है महाराज
कि हर किसान सन्नद्ध है
अपने और अपनी भावी पीढ़ियों के
हितों की रक्षा के लिए
और तैयार है
संसार की किसी भी महाशक्ति के विरुद्ध
युद्ध के लिए !
दुर्भाग्य से, महाराज
तुम्हारा अंतिम सत्य यह है
कि तुम
जानते ही नहीं कि इस बार
केवल पराजय ही रह गई है
तुम्हारे हाथ में !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
...
परम ज्ञाता
महाराज …
आपको स्मरण नहीं क्या
कि तिल-भर भूमि के लिए
लड़ा गया था
मनुष्यता के इतिहास का
दुर्द्धर्ष-तम युद्ध…
हां, यह सत्य है
कि उस महाभारत में नहीं थी
हम किसानों की कोई
सक्रिय भूमिका
किंतु इस बार
चैन से नहीं जीने देंगे हम
अपने खेतों पर
कुदृष्टि डालने वालों को
सत्य यह भी है
कि इस बार हर महाभारत
राज-परिवारों के बीच नहीं
होगा किसान और हर राजवंशी के बीच
हमारी चुनौती है
कि इस बार
हमारे घर का कोई अभिमन्यु,
कोई घटोत्कच
या कोई भी एकलव्य
प्राण नहीं देगा
अन्यों की राज-लिप्सा के कारण !
बस करो, महाराज
अनंत उर्वरा कृषि-भूमि का
मात्र स्वार्थ के लिए व्यापार !
मत करो पूंजीपतियों की
अनुचित दलाली
मत बेचो अपनी आत्मा
क्षण-भंगुर राज-सत्ता के लिए...
इस समय का सबसे बड़ा सत्य
यही है महाराज
कि हर किसान सन्नद्ध है
अपने और अपनी भावी पीढ़ियों के
हितों की रक्षा के लिए
और तैयार है
संसार की किसी भी महाशक्ति के विरुद्ध
युद्ध के लिए !
दुर्भाग्य से, महाराज
तुम्हारा अंतिम सत्य यह है
कि तुम
जानते ही नहीं कि इस बार
केवल पराजय ही रह गई है
तुम्हारे हाथ में !
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
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