घर से बाहर निकलो
तो जांचते जाना
कि कहीं कैमरे तो नहीं लगे
आबादी से दूर आते ही
ध्यान रखना
कि पांव
ज़मीन में दबी सुरंगों पर
न पड़ जाए
जहां कहीं भी भीड़ जमा देखो
चुपचाप गुज़र जाना
इस दुर्द्धर्ष समय में
कोई भरोसा नहीं
कि पुलिस
कहां 'एनकाउंटर' कर दे
यह भी भरोसा नहीं
कि पकड़ कर जेल में
न डाल दिए जाओ …
कोई भी ग़ुंडा-बदमाश
कहां गोली मार दे
या अगर तुम खाते-पीते घर के
नज़र आते हो
तो अपहरण न कर लिया जाए
तुम्हारा !
देखो, समय सचमुच अच्छा नहीं है
आम आदमी के लिए !
बेहतर है, अपने साथ
कोई हथियार रख लो
सुरक्षा के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
तो जांचते जाना
कि कहीं कैमरे तो नहीं लगे
आबादी से दूर आते ही
ध्यान रखना
कि पांव
ज़मीन में दबी सुरंगों पर
न पड़ जाए
जहां कहीं भी भीड़ जमा देखो
चुपचाप गुज़र जाना
इस दुर्द्धर्ष समय में
कोई भरोसा नहीं
कि पुलिस
कहां 'एनकाउंटर' कर दे
यह भी भरोसा नहीं
कि पकड़ कर जेल में
न डाल दिए जाओ …
कोई भी ग़ुंडा-बदमाश
कहां गोली मार दे
या अगर तुम खाते-पीते घर के
नज़र आते हो
तो अपहरण न कर लिया जाए
तुम्हारा !
देखो, समय सचमुच अच्छा नहीं है
आम आदमी के लिए !
बेहतर है, अपने साथ
कोई हथियार रख लो
सुरक्षा के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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1 टिप्पणी:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (08-11-2013) को "चर्चा मंचः अंक -1423" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
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