वह नृशंस हत्यारा
जब भी खाना खाने
बैठता है
अपने कारनामों का वीडिओ
चला लेता है
उसे अपने गुर्ग़ों के
काटो-मारो के स्वर
वैदिक ऋचाओं जैसे लगते हैं
और वह
अपने-आप को
देवासुर संग्राम का महानायक
समझने लगता है
भय से थर-थर कांपते
अंग-भंग किए जाते
ज़िंदा जलाए जाते
मनुष्यों के आर्त्तनाद
उसकी भूख बढ़ा देते हैं
और वह अपनी रक्त की प्यास बुझाने
नए तरीक़े सोचने लगता है …
वह दिग्विजय करने निकला है
सारे देश में
नए गुर्ग़े और नए शिकार
तलाश करने…
वह जहां-जहां जाता है
आस-पास के सारे रक्त-पिपासु
इकट्ठे हो जाते हैं
प्रेरणा लेने
मनुष्यता के लिए
सबसे बड़ा संकट है
एक निर्लज्ज तानाशाह
सात आकाश भी कम हैं
उसकी निर्लज्ज्ता ढंकने के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
जब भी खाना खाने
बैठता है
अपने कारनामों का वीडिओ
चला लेता है
उसे अपने गुर्ग़ों के
काटो-मारो के स्वर
वैदिक ऋचाओं जैसे लगते हैं
और वह
अपने-आप को
देवासुर संग्राम का महानायक
समझने लगता है
भय से थर-थर कांपते
अंग-भंग किए जाते
ज़िंदा जलाए जाते
मनुष्यों के आर्त्तनाद
उसकी भूख बढ़ा देते हैं
और वह अपनी रक्त की प्यास बुझाने
नए तरीक़े सोचने लगता है …
वह दिग्विजय करने निकला है
सारे देश में
नए गुर्ग़े और नए शिकार
तलाश करने…
वह जहां-जहां जाता है
आस-पास के सारे रक्त-पिपासु
इकट्ठे हो जाते हैं
प्रेरणा लेने
मनुष्यता के लिए
सबसे बड़ा संकट है
एक निर्लज्ज तानाशाह
सात आकाश भी कम हैं
उसकी निर्लज्ज्ता ढंकने के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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