चुनाव आते हैं हमेशा
एक दुर्भाग्य की तरह
और साथ ले आते हैं अपने
चोर-लुटेरों के नए गिरोह !
संविधान तो कहता है
कि जन-प्रतिनिधि
सेवक होते हैं जनता के …
क्या आपने कभी देखा है
कि आपके चुने हुए प्रतिनिधि
पूछने आए हों आपसे
आपके दुःख-दर्द
चुनाव के बाद ?
क्या महसूस किया है आपने
कि कभी कम हुई हों
दैनिक उपभोग के सामान
और सेवाओं की क़ीमतें
नई सरकार आने के बाद ?
और उन्हें
आप कब सीखेंगे
जन-प्रतिनिधियों से हिसाब मांगना
और कब छोड़ेंगे
उन्हें
देवता मान कर पूजना ??
और क्या है यह मूर्खता
नमो-नमो, नमो-नमो ????
(2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
एक दुर्भाग्य की तरह
और साथ ले आते हैं अपने
चोर-लुटेरों के नए गिरोह !
संविधान तो कहता है
कि जन-प्रतिनिधि
सेवक होते हैं जनता के …
क्या आपने कभी देखा है
कि आपके चुने हुए प्रतिनिधि
पूछने आए हों आपसे
आपके दुःख-दर्द
चुनाव के बाद ?
क्या महसूस किया है आपने
कि कभी कम हुई हों
दैनिक उपभोग के सामान
और सेवाओं की क़ीमतें
नई सरकार आने के बाद ?
और उन्हें
आप कब सीखेंगे
जन-प्रतिनिधियों से हिसाब मांगना
और कब छोड़ेंगे
उन्हें
देवता मान कर पूजना ??
और क्या है यह मूर्खता
नमो-नमो, नमो-नमो ????
(2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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