रोज़ शाम को
सूरज ढलने के साथ- साथ
निकल पड़ते हैं बच्चे
टोलियाँ बना कर
टेलीविज़न देखने
बच्चे ताक-झांक करते हैं
खिड़कियों-दरवाज़ों से
और सींक-जैसी दरारों में
आँखें गड़ा कर बैठ जाते हैं
वे इंतज़ार करते हैं
मैगी, मॉल्टोवा और मिल्कमेड के इश्तहारों का
और बूस्ट और बोर्नविटा वाले बच्चों का
वे दून स्कूल के बच्चों से सीखते हैं
" सारे जहाँ से अच्छा ......"
वे डॉक्टर की बातें
बड़े ध्यान से सुनते हैं
और याद करते हैं
कि कहाँ-कहाँ से मिलते हैं
विटामिन ए , बी-1, बी-2, सी , डी ....
बच्चे जब सोते हैं
तो उनके सपनों में आते हैं
अंडे, मछलियाँ , ताज़ी-हरी सब्ज़ियां
दूध और मिल्क-चॉकलेट्स
बच्चे
सुबह काम पर निकलने से पहले
सूखी रोटियां चाय में डुबो कर
खाते हुए
सोचते हैं शाम के बारे में।
( 1985 )
-सुरेश स्वप्निल
* प्रकाशन: अनेक प्रतिष्ठित समाचार -पत्रों एवं पत्रिकाओं में , 1985-1988
सूरज ढलने के साथ- साथ
निकल पड़ते हैं बच्चे
टोलियाँ बना कर
टेलीविज़न देखने
बच्चे ताक-झांक करते हैं
खिड़कियों-दरवाज़ों से
और सींक-जैसी दरारों में
आँखें गड़ा कर बैठ जाते हैं
वे इंतज़ार करते हैं
मैगी, मॉल्टोवा और मिल्कमेड के इश्तहारों का
और बूस्ट और बोर्नविटा वाले बच्चों का
वे दून स्कूल के बच्चों से सीखते हैं
" सारे जहाँ से अच्छा ......"
वे डॉक्टर की बातें
बड़े ध्यान से सुनते हैं
और याद करते हैं
कि कहाँ-कहाँ से मिलते हैं
विटामिन ए , बी-1, बी-2, सी , डी ....
बच्चे जब सोते हैं
तो उनके सपनों में आते हैं
अंडे, मछलियाँ , ताज़ी-हरी सब्ज़ियां
दूध और मिल्क-चॉकलेट्स
बच्चे
सुबह काम पर निकलने से पहले
सूखी रोटियां चाय में डुबो कर
खाते हुए
सोचते हैं शाम के बारे में।
( 1985 )
-सुरेश स्वप्निल
* प्रकाशन: अनेक प्रतिष्ठित समाचार -पत्रों एवं पत्रिकाओं में , 1985-1988
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