अभी वे आएंगे
नंगे पांव दौड़ते हुए
बांसों पर टंगी आँखों से
आसमान निहारते-
कटी हुई पतंग के पीछे-पीछे।
पतंग लूटते बच्चे बहुत मासूम हैं।
उन्हें नहीं मालूम
कितना मुश्किल है
कटी हुई पतंग की चाल भांपना।
-पतंग तितली नहीं होती
कि सिर्फ़
फूलों पर बैठे।
रास्ते के बीचों-बीच
खड़ा हुआ पेड़
और उसकी हज़ार बांहें
आश्वस्त हैं
पतंग
कहाँ जाएगी बच कर ?
अगर मैं पेड़ के नीचे खड़ा हूँ ,
मेरी नीयत पर शंका मत करो
मैं उस बच्चे को पेड़ पर चढ़ना सिखाऊंगा
जिसकी आँखें
सबसे ज़्यादा चमकदार हैं
और हाथ .......सबसे नन्हे !
( 1981 )
-सुरेश स्वप्निल
प्रकाशन: अंतर्यात्रा-13 ( जन ., 1983 ); 'साक्षात्कार' ( जुलाई-सितं ., 1984 )
नंगे पांव दौड़ते हुए
बांसों पर टंगी आँखों से
आसमान निहारते-
कटी हुई पतंग के पीछे-पीछे।
पतंग लूटते बच्चे बहुत मासूम हैं।
उन्हें नहीं मालूम
कितना मुश्किल है
कटी हुई पतंग की चाल भांपना।
-पतंग तितली नहीं होती
कि सिर्फ़
फूलों पर बैठे।
रास्ते के बीचों-बीच
खड़ा हुआ पेड़
और उसकी हज़ार बांहें
आश्वस्त हैं
पतंग
कहाँ जाएगी बच कर ?
अगर मैं पेड़ के नीचे खड़ा हूँ ,
मेरी नीयत पर शंका मत करो
मैं उस बच्चे को पेड़ पर चढ़ना सिखाऊंगा
जिसकी आँखें
सबसे ज़्यादा चमकदार हैं
और हाथ .......सबसे नन्हे !
( 1981 )
-सुरेश स्वप्निल
प्रकाशन: अंतर्यात्रा-13 ( जन ., 1983 ); 'साक्षात्कार' ( जुलाई-सितं ., 1984 )
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