जिस दिन
सच बोलेगा तानाशाह
मारा जाएगा
उसी दिन !
सच बोलना
चाहता भी नहीं वह
भय लगता है उसे
सच को स्वीकारने में
कि वह
सच बोलते ही
शामिल हो जाएगा
आम लोगों की भीड़ में !
तानाशाह मानता है
कि अति-मानव है वह
किसी भी अन्य मानव की तुलना में
यद्यपि वह स्वयं जानता है
कि सच नहीं है यह …
क्या सचमुच इतना डरता है
तानाशाह
अपनी मृत्यु से ??
वह जीना चाहता है
किसी भी मूल्य पर
चाहे इसके लिए
कितने ही मनुष्यों कि बलि
क्यों न लेना पड़े उसे !
फिर भी
कहीं न कहीं अपने अंतर्मन में
अच्छी तरह से जानता है वह
कि मरना ही होगा उसे भी
एक दिन !
दरअसल, हर तानाशाह डरता है
अपनी मृत्यु से
क्योंकि जानता है वह
कि मृत्यु से बड़ा सच
और कुछ नहीं होता …
जिस दिन वह
मृत्यु-भय से मुक्त होगा
और सच बोलने का साहस करेगा
उसी दिन मर जाएगा
उसे किसी अन्य शत्रु की
ज़रूरत नहीं है
मरने के लिए
उसकी अंतरात्मा काफ़ी है
और उसके पापों का बोझ भी
उसे मुक्ति दिलाने के लिए !
तानाशाह से मुक्ति चाहिए
तो प्रेरित कीजिए उसे
सच बोलने के लिए !!!
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
…
सच बोलेगा तानाशाह
मारा जाएगा
उसी दिन !
सच बोलना
चाहता भी नहीं वह
भय लगता है उसे
सच को स्वीकारने में
कि वह
सच बोलते ही
शामिल हो जाएगा
आम लोगों की भीड़ में !
तानाशाह मानता है
कि अति-मानव है वह
किसी भी अन्य मानव की तुलना में
यद्यपि वह स्वयं जानता है
कि सच नहीं है यह …
क्या सचमुच इतना डरता है
तानाशाह
अपनी मृत्यु से ??
वह जीना चाहता है
किसी भी मूल्य पर
चाहे इसके लिए
कितने ही मनुष्यों कि बलि
क्यों न लेना पड़े उसे !
फिर भी
कहीं न कहीं अपने अंतर्मन में
अच्छी तरह से जानता है वह
कि मरना ही होगा उसे भी
एक दिन !
दरअसल, हर तानाशाह डरता है
अपनी मृत्यु से
क्योंकि जानता है वह
कि मृत्यु से बड़ा सच
और कुछ नहीं होता …
जिस दिन वह
मृत्यु-भय से मुक्त होगा
और सच बोलने का साहस करेगा
उसी दिन मर जाएगा
उसे किसी अन्य शत्रु की
ज़रूरत नहीं है
मरने के लिए
उसकी अंतरात्मा काफ़ी है
और उसके पापों का बोझ भी
उसे मुक्ति दिलाने के लिए !
तानाशाह से मुक्ति चाहिए
तो प्रेरित कीजिए उसे
सच बोलने के लिए !!!
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
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