बहुत परेशान है जादूगर
आजकल !
सारे मंत्र निर्जीव होते जा रहे हैं
सारी युक्तियां निष्प्राण
दर्शक-दीर्घा सूनी हो रही है
निरंतर...
जादूगर को काठ-सा मारता जा रहा है
कुछ समय से
जब से एक नया जादूगर आ गया है
शहर में
मंत्र पुराना जादूगर पढ़ता है
प्रभाव प्रकट होता है
नए जादूगर के मंच पर ...
पुराना जादूगर हत्प्रभ है
कि कैसे उसकी जादुई शक्तियां
काम करने लगी हैं
उसके शत्रु के पक्ष में !
सरासर यह शक्तियों की चोरी का
षड्यंत्र है
पता नहीं किसका मस्तिष्क
काम कर रहा है
इस सबके पीछे
दुर्भाग्य यह है कि
विधि की पुस्तकों में
अपराध की श्रेणी में नहीं आता
यह कृत्य !
उसकी शक्तियां यदि काम कर रही होतीं
पूर्ववत
तो पता नहीं, कब का
ठिकाने लगा चुका होता वह
नए जादूगर को...
जैसे अपने हज़ारों तथाकथित
शत्रुओं को लगा चुका है अभी तक !
यहां तक भी ठीक था
किंतु उसके अपने प्रशंसक भी
न्याय-अन्याय की बात करने लगे हैं
नए जादूगर के प्रभाव में आ कर !
यद्यपि अनावश्यक है यह कथन
कि सबको देना पड़ता है
अपने कर्मों का हिसाब
इसी जन्म में
परंतु मन नहीं मानता
पुराने जादूगर का ...
क्या ईश्वरत्व को प्राप्त कर चुका
कोई मनुष्य
फिर से
प्राप्त हो सकता है
साधारण मनुष्यत्व को ?
इस प्रश्न का उत्तर
केवल वही जानते हैं
जो विश्वास करते हैं
दैवीय शक्तियों में
हम तो दर्शक-मात्र हैं
इस खेल के...!
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
...
आजकल !
सारे मंत्र निर्जीव होते जा रहे हैं
सारी युक्तियां निष्प्राण
दर्शक-दीर्घा सूनी हो रही है
निरंतर...
जादूगर को काठ-सा मारता जा रहा है
कुछ समय से
जब से एक नया जादूगर आ गया है
शहर में
मंत्र पुराना जादूगर पढ़ता है
प्रभाव प्रकट होता है
नए जादूगर के मंच पर ...
पुराना जादूगर हत्प्रभ है
कि कैसे उसकी जादुई शक्तियां
काम करने लगी हैं
उसके शत्रु के पक्ष में !
सरासर यह शक्तियों की चोरी का
षड्यंत्र है
पता नहीं किसका मस्तिष्क
काम कर रहा है
इस सबके पीछे
दुर्भाग्य यह है कि
विधि की पुस्तकों में
अपराध की श्रेणी में नहीं आता
यह कृत्य !
उसकी शक्तियां यदि काम कर रही होतीं
पूर्ववत
तो पता नहीं, कब का
ठिकाने लगा चुका होता वह
नए जादूगर को...
जैसे अपने हज़ारों तथाकथित
शत्रुओं को लगा चुका है अभी तक !
यहां तक भी ठीक था
किंतु उसके अपने प्रशंसक भी
न्याय-अन्याय की बात करने लगे हैं
नए जादूगर के प्रभाव में आ कर !
यद्यपि अनावश्यक है यह कथन
कि सबको देना पड़ता है
अपने कर्मों का हिसाब
इसी जन्म में
परंतु मन नहीं मानता
पुराने जादूगर का ...
क्या ईश्वरत्व को प्राप्त कर चुका
कोई मनुष्य
फिर से
प्राप्त हो सकता है
साधारण मनुष्यत्व को ?
इस प्रश्न का उत्तर
केवल वही जानते हैं
जो विश्वास करते हैं
दैवीय शक्तियों में
हम तो दर्शक-मात्र हैं
इस खेल के...!
( 2014 )
-सुरेश स्वप्निल
...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें