जैसा ठीक समझें हुज़ूर !
आप चाहेंगे तो फिर लड़ लेंगे
आप तो विशेषज्ञ हैं
युद्ध-कला के
आप इतने उत्कंठित क्यों हैं
लेकिन ?
आप सोच रहे हैं संभवतः
असावधानी और अति-आत्म-विश्वास
ले डूबा आपको
किंतु अर्द्ध-सत्य है यह
वस्तुतः
आप जब तक उत्कंठित हैं
तब तक
कभी समझ नहीं पाएंगे
अपनी पराजय के वास्तविक कारणों को !
वास्तविकता तो यह है
कि आपका चरित्र
आपकी नीतियां
आपकी विचारधारा
और आपकी रण-नीति
इतने अधिक प्रदूषित हो चुके हैं
कि जब भी
सत्य, ईमानदारी और न्याय के पक्षधर
उतरेंगे आपके विरुद्ध
मैदान में
तब-तब
केवल पराजय ही हाथ आनी है आपके
बेकार की ज़िद छोड़िये, हुज़ूर !
हम जनता हैं
आपकी सारी सम्मिलित सेनाओं से
सैकड़ों-हज़ार गुना
हम तो ख़ाली हाथ ही बहुत हैं
सरकार !
चुनौती आपने दी है
युद्ध तो लड़ना ही होगा आपको
तैयार हो जाइए, महाशय
अपनी अवश्यंभावी
अंतिम पराजय के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
…
आप चाहेंगे तो फिर लड़ लेंगे
आप तो विशेषज्ञ हैं
युद्ध-कला के
आप इतने उत्कंठित क्यों हैं
लेकिन ?
आप सोच रहे हैं संभवतः
असावधानी और अति-आत्म-विश्वास
ले डूबा आपको
किंतु अर्द्ध-सत्य है यह
वस्तुतः
आप जब तक उत्कंठित हैं
तब तक
कभी समझ नहीं पाएंगे
अपनी पराजय के वास्तविक कारणों को !
वास्तविकता तो यह है
कि आपका चरित्र
आपकी नीतियां
आपकी विचारधारा
और आपकी रण-नीति
इतने अधिक प्रदूषित हो चुके हैं
कि जब भी
सत्य, ईमानदारी और न्याय के पक्षधर
उतरेंगे आपके विरुद्ध
मैदान में
तब-तब
केवल पराजय ही हाथ आनी है आपके
बेकार की ज़िद छोड़िये, हुज़ूर !
हम जनता हैं
आपकी सारी सम्मिलित सेनाओं से
सैकड़ों-हज़ार गुना
हम तो ख़ाली हाथ ही बहुत हैं
सरकार !
चुनौती आपने दी है
युद्ध तो लड़ना ही होगा आपको
तैयार हो जाइए, महाशय
अपनी अवश्यंभावी
अंतिम पराजय के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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