शोर जब जनहित में हो
तो अपराध नहीं होता
जनहित में वस्तुत: क्रांति भी
अपराध नहीं होती
यहां तक कि जन-विरोधी शासक-वर्ग को
नेस्त-नाबूद कर देना भी …
जब शासक-वर्ग जनहित के विरुद्ध हो
तो दंड-संहिताएं बदल दी जानी चाहिए
बदल दिए जाने चाहिए
न्यायाधीश और न्यायालय
न्याय यदि पीड़ित को स्वीकार न हो
तो न्याय कैसा ?
सन्दर्भों से परे
न्याय और अन्याय
हो सकता है
समानार्थक लगें
किन्तु समय-विशेष पर
कौन तय करेगा
न्याय और अन्याय की
परिभाषाएं ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
..
तो अपराध नहीं होता
जनहित में वस्तुत: क्रांति भी
अपराध नहीं होती
यहां तक कि जन-विरोधी शासक-वर्ग को
नेस्त-नाबूद कर देना भी …
जब शासक-वर्ग जनहित के विरुद्ध हो
तो दंड-संहिताएं बदल दी जानी चाहिए
बदल दिए जाने चाहिए
न्यायाधीश और न्यायालय
न्याय यदि पीड़ित को स्वीकार न हो
तो न्याय कैसा ?
सन्दर्भों से परे
न्याय और अन्याय
हो सकता है
समानार्थक लगें
किन्तु समय-विशेष पर
कौन तय करेगा
न्याय और अन्याय की
परिभाषाएं ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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