इतिहास
भूलने की चीज़ नहीं होती
जब तक कोई राष्ट्र
लज्जित न हो अपने अतीत पर !
ज़िंदा राष्ट्र
नए इतिहास गढ़ते हैं
अतीत से लज्जित हुए बिना
वर्त्तमान से मुंह छिपाए बिना
भविष्य की अनिश्चितता से
डरे बिना !
झूठ के दम पर
न राष्ट्र बनते हैं
न संस्कृति
मिथक नहीं
अध्याय बनो
नए इतिहास का !
(2013)
-सुरेश स्वप्निल
.
भूलने की चीज़ नहीं होती
जब तक कोई राष्ट्र
लज्जित न हो अपने अतीत पर !
ज़िंदा राष्ट्र
नए इतिहास गढ़ते हैं
अतीत से लज्जित हुए बिना
वर्त्तमान से मुंह छिपाए बिना
भविष्य की अनिश्चितता से
डरे बिना !
झूठ के दम पर
न राष्ट्र बनते हैं
न संस्कृति
मिथक नहीं
अध्याय बनो
नए इतिहास का !
(2013)
-सुरेश स्वप्निल
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