सब खाते हैं
सेठ का दिया हुआ
ज़ार भी
ज़ार के दुश्मन
और उनके भी दुश्मन....
लगता ऐसा है
कि सेठ की जूठन चाटे बिना
भूखे न मर जाएं
देश के सियासतदां !
बहुत थोड़े ही हैं
हालांकि
सेठ का दिया खाने वाले
कोई 1000-1200
या शायद 12000 या 120000 …
मगर इतने ही भिखारियों के दम पर
सेठ 1200000000 मेहनतकश इंसानों के गले
छुरी फेरता रहता है
साल दर साल !
मगर इस बार
मेहनतकश भी तैयार हैं
सेठ
और उसके दलाल
भिखारियों के अरमानों पर
पानी फेरने के लिए !
जो भी हो
इस बार चूक जाने वाला
हारेगा तो जीवन-भर के लिए
और जनता बिल्कुल तैयार नहीं है
इस बार
सेठ और उसके दलालों को
बख्शने के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
सेठ का दिया हुआ
ज़ार भी
ज़ार के दुश्मन
और उनके भी दुश्मन....
लगता ऐसा है
कि सेठ की जूठन चाटे बिना
भूखे न मर जाएं
देश के सियासतदां !
बहुत थोड़े ही हैं
हालांकि
सेठ का दिया खाने वाले
कोई 1000-1200
या शायद 12000 या 120000 …
मगर इतने ही भिखारियों के दम पर
सेठ 1200000000 मेहनतकश इंसानों के गले
छुरी फेरता रहता है
साल दर साल !
मगर इस बार
मेहनतकश भी तैयार हैं
सेठ
और उसके दलाल
भिखारियों के अरमानों पर
पानी फेरने के लिए !
जो भी हो
इस बार चूक जाने वाला
हारेगा तो जीवन-भर के लिए
और जनता बिल्कुल तैयार नहीं है
इस बार
सेठ और उसके दलालों को
बख्शने के लिए !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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