बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

अति-नायक के हाथ सत्ता

कोई  नहीं  जानता
कि  क्या  है
अति-नायक  के  मन  में
जैसे  लोग
नहीं  जानते  कि
कब-किस  करवट  बैठ  जाए
ऊंट  !

जैसे  कोई  नहीं  जानता
कि  पागल  कुत्ता
किसको  काटेगा  अंतत:

कोई  यह  भी  नहीं  जानता
कि  तक्षक  सांप
किस  कोने  में  छिपा  बैठा  है
और  कब  हमला  कर  देगा
किसान  के  शरीर  पर....

शेर,  भालू ,  मगरमच्छ
और  शार्क  के  इरादों  को  भी
नहीं  जानता  कोई  भी....

अति-नायक   कम  नहीं  है
किसी  भी  हिंसक  पशु  से
मौक़ा  मिलते  ही
किस  पर  टूटेगा  उसका  क़हर
यह  न  आप  जानते  हैं
न  हम …

कुछ  लोग  फिर  भी
चाहते  हैं
अति-नायक  के  हाथ  में
सत्ता  सौंपना 

जिसकी  मति  मारी  गई  हो
कौन  समझा  सकता  है
भला  उसे ?

हमने  तय  किया  है
कि  हम  नहीं  होंगे
किसी  भी  अति-नायक  के  समर्थन  में …

आप  भी  तय  कर  ही  लें
अपने  बारे  में !

                                                              ( 2013 )

                                                        -सुरेश  स्वप्निल 

.

1 टिप्पणी:

रविकर ने कहा…

अति नायक को छोड़िये, आया पाक विचार |
धाक धमाके सब जगह, अंदर बाहर मार |

अंदर बाहर मार, धार्मिक जेहादी का |
करते खुला प्रचार, मिला दुनिया का ठीका |

शुतुरमुर्ग सा बंद, आँख रविकर कर लेगा |
नहीं दिखे उन्माद, दिखाओ ऐसे ठेंगा ||