कुछ आशाएं
एकदम व्यर्थ होती हैं
जैसे राजनीति में आ कर भी
साफ़-सुथरे बने रहना…
जैसे काजल की कोठरी में
जा कर
श्वेत वस्त्र काले किए बिना
लौट पाना
जैसे विकास की गति बढ़ा कर
मंहगाई को
नियंत्रण में रख पाना
और समाज के सभी वर्गों से
न्याय कर पाना
जैसे गुरुग्रंथ साहिब के उपदेशों को
ठीक से समझ कर भी
पूंजीवादी बने रहना !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
एकदम व्यर्थ होती हैं
जैसे राजनीति में आ कर भी
साफ़-सुथरे बने रहना…
जैसे काजल की कोठरी में
जा कर
श्वेत वस्त्र काले किए बिना
लौट पाना
जैसे विकास की गति बढ़ा कर
मंहगाई को
नियंत्रण में रख पाना
और समाज के सभी वर्गों से
न्याय कर पाना
जैसे गुरुग्रंथ साहिब के उपदेशों को
ठीक से समझ कर भी
पूंजीवादी बने रहना !
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें