सुना आपने ?
कुत्ते चाहते हैं सत्ता हथियाना
वह भी भेडियों के हाथों से...
अपने-अपने भ्रम हैं, भाई !
भेडिए भी सोच रहे हैं
कि फिर आ जाएंगे सत्ता में
भेड-बकरियों और ख़रगोशों के सहारे
अपनी 'कल्याण कारी' योजनाओं के दम पर
चाहे जो हो,
शाकाहारी पशुओं को
दो समय की घास का वादा तो
दोनों ही कर रहे हैं....
लगता है, जंगल में सचमुच लोकतंत्र
आ कर ही रहेगा
इस चुनाव में !
कोई जानना चाहेगा
कि मतदाता पशुओं के मन में
क्या है अंतत: ???
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
.
कुत्ते चाहते हैं सत्ता हथियाना
वह भी भेडियों के हाथों से...
अपने-अपने भ्रम हैं, भाई !
भेडिए भी सोच रहे हैं
कि फिर आ जाएंगे सत्ता में
भेड-बकरियों और ख़रगोशों के सहारे
अपनी 'कल्याण कारी' योजनाओं के दम पर
चाहे जो हो,
शाकाहारी पशुओं को
दो समय की घास का वादा तो
दोनों ही कर रहे हैं....
लगता है, जंगल में सचमुच लोकतंत्र
आ कर ही रहेगा
इस चुनाव में !
कोई जानना चाहेगा
कि मतदाता पशुओं के मन में
क्या है अंतत: ???
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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