चुनाव एक षड्यंत्र है
सियासत करने वालों का
आम आदमी के विरुद्ध…
एक युद्ध है
बे-ईमानों, मुनाफ़ाखोर व्यापारियों
रिश्वतख़ोर नौकरशाहों
और देश-द्रोही विदेशी ताक़तों के दलालों के
गठजोड़ की
सम्मिलित सेनाओं का
ग़रीब, मेहनतकश, निहत्थी जनता पर
थोपा हुआ…
जब देश की अस्सी प्रतिशत आबादी
दाने-दाने को तरसती हो
जब दो-तिहाई मनुष्यों के पास
रहने को घर भी न हो
जब देश की नब्बे प्रतिशत आमदनी
ग़लत हाथों में पहुंच रही हो
जब न्याय
खुले आम ख़रीदा-बेचा जाता हो
जब पुलिस और सेनाएं
किसी भी जीते-जागते मनुष्य को
लाश में बदल देते हों
जब हर ओर अन्याय और अत्याचार का ही
राज हो….
सच बताओ
क्या तुम्हारा दिल नहीं होता
कि आग लगा दें
ऐसे निज़ाम को ????
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
सियासत करने वालों का
आम आदमी के विरुद्ध…
एक युद्ध है
बे-ईमानों, मुनाफ़ाखोर व्यापारियों
रिश्वतख़ोर नौकरशाहों
और देश-द्रोही विदेशी ताक़तों के दलालों के
गठजोड़ की
सम्मिलित सेनाओं का
ग़रीब, मेहनतकश, निहत्थी जनता पर
थोपा हुआ…
जब देश की अस्सी प्रतिशत आबादी
दाने-दाने को तरसती हो
जब दो-तिहाई मनुष्यों के पास
रहने को घर भी न हो
जब देश की नब्बे प्रतिशत आमदनी
ग़लत हाथों में पहुंच रही हो
जब न्याय
खुले आम ख़रीदा-बेचा जाता हो
जब पुलिस और सेनाएं
किसी भी जीते-जागते मनुष्य को
लाश में बदल देते हों
जब हर ओर अन्याय और अत्याचार का ही
राज हो….
सच बताओ
क्या तुम्हारा दिल नहीं होता
कि आग लगा दें
ऐसे निज़ाम को ????
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
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