शनिवार, 15 जून 2013

समय के विरुद्ध

कुछ  लोग
सदा  समय  के  पीछे  चले
अत्यंत  विनम्र,  मौन
चींटियों  की  भांति  पंक्ति-बद्ध
समय  की  जूठन  पर
जीते  हुए
और  भुला  दिए  गए
मरी  हुई  चींटियों  की  भांति

कुछ  लोग  समय  के  आगे-आगे
दौड़  लगाते  रहे
और  थक  कर
सो  गए  बीच  राह  में
और  कुचले   गए
समय  के  पांवों  के  नीचे

कुछ  लोग  जो  अधिक  बुद्धिमान  थे
समय  के  साथ-साथ  चले
शरणागत  हो  कर
मिमियाते  हुए 
और  मारे  गए
क्रांति  के  प्रथम  शिकार  हो  कर

लेकिन  कुछ  लोग  थे
जो  समय  के  विरुद्ध
लोहा  ले  कर  खड़े  थे
चुनौती  बन  कर
वे  लड़े
अपनी  पूरी  चेतना  और  वीरता  के  साथ
कुछ  खेत  रहे
कुछ  जीत  गए
कुछ  हार  गए ....

वे  सब  के  सब
इतिहास  में  अपनी  जगह  बना  गए
नायकों  के  रूप  में !

                                                                 ( 2013 )

                                                          -सुरेश  स्वप्निल 


1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

सुरेश जी आपने जो प्रॉब्लम पूछी थी उसका सलूशन मैंने इस लिंक पर लिखा है एक बार देख ले

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