सपनों को क्या हो गया है ?
आँखों से चलते हैं
और उड़ कर
मोबाइल टॉवर पर बैठ जाते हैं
शायद सपनों की दुनिया सिकुड़ गई है
वे नहीं चाहते
कि पंखों को तकलीफ़ हो
वे शायद उड़ना ही नहीं चाहते
या उड़ें भी तो वहीं तक
जहां से घोंसला दिखाई पड़ता हो ....
सपने डर गए हैं
वैज्ञानिकों के बयानों से
कहा जाता है कि सपनों की
प्रजनन-क्षमता
कम हो गई है
लगभग शून्य के बराबर !
क्या सपनों की सभी प्रजातियां
नष्ट हो जाएंगी
गौरैयों की तरह ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
आँखों से चलते हैं
और उड़ कर
मोबाइल टॉवर पर बैठ जाते हैं
शायद सपनों की दुनिया सिकुड़ गई है
वे नहीं चाहते
कि पंखों को तकलीफ़ हो
वे शायद उड़ना ही नहीं चाहते
या उड़ें भी तो वहीं तक
जहां से घोंसला दिखाई पड़ता हो ....
सपने डर गए हैं
वैज्ञानिकों के बयानों से
कहा जाता है कि सपनों की
प्रजनन-क्षमता
कम हो गई है
लगभग शून्य के बराबर !
क्या सपनों की सभी प्रजातियां
नष्ट हो जाएंगी
गौरैयों की तरह ?
( 2013 )
-सुरेश स्वप्निल
1 टिप्पणी:
हिंदी ब्लॉग को देख कर अच्छा लग रहा है.
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